नूतन लाल साहू

नशा


 


हे नाथ, मेरी नैया


उस पार,लगा देना


मेरी जीवन को,तुम प्रभु जी


नशा से,बचा लेना


संभव है,झंझटो में


मै तुमको,भुल जाऊ


पर,नाथ कही तुम भी


मुझको न, भूला देना


मेरी जीवन को,तुम प्रभु जी


नशा से, बचा लेना


हो जाऊ मैं, तुझमे ऐसी मगन


नशा की तरफ,न जाये डगर


मन सदा ही,तेरा अनुरागी रहे


सदाचार हो,मेरे जीवन का सफ़र


हे नाथ,मेरी नैया


उस पार,लगा देना


मेरी जीवन को,तुम प्रभु जी


नशा से,बचा लेना


मुझे मिले,सतगुरु की साया


नशा मुक्त हो,मेरी काया


नैया छोड़ी,आपके हवाले


आप संभाले या न संभाले


मेरी जीवन को,तुम प्रभु जी


नशा से, बचा लेना


एक शब्द, दो कान है मेरा


एक नज़र,दो आंख है मेरा


ब्रम्ह ज्ञान में,बड़ी शक्ति है


नशा से वो,मुझे दुर रख सकती हैं


ऐसी शक्ति,मुझे देना दाता


नशा,नाश का घर है


दूसरो को भी,बता संकू


हे नाथ,मेरी नैया


उस पार,लगा देना


मेरी जीवन को,तुम प्रभु जी


नशा से,बचा लेना


नूतन लाल साहू


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