शीर्षक:- "जश्ने आज़ादी एक कुर्बानी"
आओ मिलकर मनाए 15 अगस्त ,
कहते है, गर्व से जिसे स्वतंत्रता दिवस ।
तिरंगे को नील गगन में लहराए ,
भारत के हर बच्चे के हाथो में तिरंगा थमाए ।
तीन रंगों से मिलकर जो बना है ,
अशोक चक्र जिसमे ,विकासशील विद्यमान है।
रंग इसके निराले जग से प्यारे ,
कफ़न तिरंगे सा सुशोभित वाह वाह रे,
बिना खड़क ,बिना ढाल किया था, चरखे ने कमाल,
पर इंक़लाब के नारे भी ,हिंदुस्तान से गूँजे थे,
भारत माँ के ,हज़ारो लाल ,फाँसी के फन्दों पर झूले थे।
क्या ? फिर इतनी सस्ती थी आज़ादी ,
जो हम इन वीरो के बलिदान को,
स्वतंत्रता दिवस के बाद अनदेखा कर यूँ भूले थे ।
खेल नही था आज़ादी ,
शब्दों का केवल मेल नही था ,
इंक़लाब और अहिंसा का बेजोड़ द्वन्द था आज़ादी ।
जब सुहागन के लाल जोड़े का रंग सफेद हुआ था ।
सिन्दूर माँग का आँसू बन आँख से रुक्सत हुआ था।
जब अपनी माँ का आँचल छोड़, भारत माँ पर ,
लाल केसरी सा ,न्योछावर हुआ था।
फिर एक नई क्रान्ति आएगी, पुलिस अहिंसा अपनाएगी,
डॉक्टर की टीम इंक़लाब से कोरोना को भगाएगी,
कोरोना से आज़ादी दिलाएगी,
वर्दी रंग जो सफेद हुआ ,
ये ऐतिहासिक 15 अगस्त उन्हें भी सलामी दे जाएगी।
जश्ने आज़ादी एक कुर्बानी । जय हिंद
प्रिया चारण ,उदयपुर ,राजस्थान
8302854423
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