राजेंद्र रायपुरी

 मनहरण घनाक्षरी पर रचना 


 


क्या हैं दिन ये आ गए,लोग सब यही कहें,


आप घर किसी के भी,भूल के न जाइए।


 


जाइए अगर कभी, तो बात मेरी मानिए,


मत किसी से जा वहाॅ॑, हाथ को मिलाइए।


 


दूर ही रहें सभी से, पास अब न जाइए,


बीच सबसे फासला, गज़ दो बनाइए।


 


खाइए न कुछ वहाॅ॑, कहा ये मान जाइए।


जो दिया उसे कभी भी, हाथ न लगाइए।


 


            ।। राजेंद्र रायपुरी।।


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