😌 करूण रस पर एक रचना 😌
छूटी नहीं है हाथ की लाली अभी।
जेवर सजे हैं देखिए तन पर सभी।
तूने विधाता भाग्य में था क्या लिखा,
पिय सेज उसके आ नहीं सकते कभी।
पिय लाश को वो देखकर धरनी पड़ी।
इससे कहो विपदा भला क्या है बड़ी।
थे संग जिसके सात फेरे कल लिए,
उसके विदाई की अशुभ आई घड़ी।
।। राजेंद्र रायपुरी।।
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