राजेंद्र रायपुरी

गाॅ॑धी जयंती पर विशेष 


 


खिले फूल दो देश हमारे।


  दो अक्टूबर न्यारे - न्यारे।


    नाम एक का लाल बहादुर,


       दूजे बापू सबके प्यारे।


 


आओ नमन इन्हें हम कर लें।


  आत्मसात इनके गुण कर लें।


    इन के पद चिन्हों पर चलकर,


      सेवा तनिक देश की कर लें।


 


बापूजी ने काट बेड़ियाॅ॑,


  भारत को आजाद कराया।


    मुक्ति मिली अंग्रेजों से तब,


      भारत माॅ॑ का मन हर्षाया।


 


लाल बहादुर छोटे कद के, 


  लेकिन बड़े इरादे थे।


    अंदर से मजबूत मगर वो, 


      दिखते सीधे-सादे थे।


 


सूझ-बूझ का परिचय देकर,


  दुश्मन को था सबक सिखाया।


    ताशकंद समझौता लेकिन, 


      उन्हें तनिक भी रास न आया।


 


विदा हो गए इस दुनिया से,


  कारण कोई जान न पाया।


    दुश्मन के कंधे पर चढ़कर, 


      लाल देश का था घर आया।


 


भारत माॅ॑ के दो सपूत। 


  दोनों ही असमय चले गए। 


    याद रखेंगे हम सब उनको, 


      छोड़ हमें वे भले गए।


 


            ।। राजेंद्र रायपुरी।।


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