जय माँ शारदे
रूप घनाक्षरी
रंग रसिया के संग , रास है रचाने लगे ,
हाथ में पहन चूड़ी , शिव ने किया शृंगार।
बांसुरी बजाते हुए , मोहन जो पास आए ,
रास का बने हैं अंग , भोले गोपी रूप धार।
हठ करने लगे हैं , मनमोहन जी देखो ,
मुख ये दिखाओ अब , घूंघट को दो उतार।
घूंघट उठाया जब , देख के हुए चकित ,
मदन मुरारी से वो , करने लगे हैं प्यार।
संदीप कुमार विश्नोई रुद्र
दुतारांजय माँ शारदे
रूप घनाक्षरी
रंग रसिया के संग , रास है रचाने लगे ,
हाथ में पहन चूड़ी , शिव ने किया शृंगार।
बांसुरी बजाते हुए , मोहन जो पास आए ,
रास का बने हैं अंग , भोले गोपी रूप धार।
हठ करने लगे हैं , मनमोहन जी देखो ,
मुख ये दिखाओ अब , घूंघट को दो उतार।
घूंघट उठाया जब , देख के हुए चकित ,
मदन मुरारी से वो , करने लगे हैं प्यार।
संदीप कुमार विश्नोई रुद्र
दुतारांवाली अबोहर पंजाबवाली अबोहर पंजाब
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