संदीप कुमार विश्नोई रुद्र

जय माँ शारदे


 


सिंहावलोकन घनाक्षरी छंद


 


 


तोड़ने लगी है दंभ , भारतीय सेना देखो , 


अरिदल का ये सर , निज कर फोड़ने। 


 


फोड़ने में भाई देखो , छोड़ी न कसर कोई , 


चीनियों का लगी वह , कान भी मरोड़ने। 


 


मरोड़ने लगे कान , चीं चीं चीं चीं करते हैं , 


टैंक भी तैयार खड़े , गोला अब छोड़ने ।


 


छोड़ने की बात मन , पृथ्वीराज के जो आई , 


गजनी था लगा फिर , भारत को तोड़ने। 


 


संदीप कुमार विश्नोई रुद्र


गाँव दुतारांवाली अबोहर पंजाब


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