जय माँ शारदे
जय ब्रह्मचारिणी माता
राधेश्यामी मत्तसवैया छंद
माँ ब्रह्मचारिणी रूप धरा , कमण्डल कर में उठाती है ,
दर पर जो शीश झुकाता है , माँ बेड़ा पार लगाती है।
कर में माला लगती प्यारी , माँ सिद्धि सकल देने वाली ,
पद पंकज की महिमा गाओ , भरती माता झोली खाली।
शुचि मंजुल आनन की शोभा , है अद्भुत स्वर्ण कमल जैसी ,
माता के पाँवों की लाली , लगती किसलय कोंपल जैसी।
माता संदीप करे पूजन , शुचि तीक्ष्ण मेधा प्रदान करो ,
माँ अष्ट सिद्धि का वर दे कर , माँ खुशियों से भंडार भरो।
संदीप कुमार विश्नोई रुद्र
दुतारांवाली अबोहर पंजाब
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