संजय जैन

आशीष मिला तो....


 


तेरा आशीष पा कर, 


सब कुछ पा लिया हैं।


तेरे चरणों में हमने, 


सर को झुका दिया हैं।


तेरा आशीष पा कर .....।


 


आवागमन गालियां 


न हत रुला रहे हैं।


जीवन मरण का झूला 


हमको झूला रहे हैं।


आज्ञानता निंद्रा 


हमको सुला रही हैं।


नजरे पड़ी जो तेरी, 


मानो पापा धूल गए है। 


तेरा आशीष पा कर.....।।


 


तेरे आशीष वाले बादल 


जिस दिन से छाए रहे हैं।


निर्दोष निसंग के पर्वत 


उस दिन से गिर रहे हैं।


रहमत मिली जो तेरी, 


मेरे दिन बदल गये है।


तेरी रोशनी में विद्यागुरु, 


सुख शांति पा रहे है।


तेरा आशीष पा कर ....।।


 


जय जिनेन्द्र देव 


संजय जैन (मुम्बई)


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