कभी पनपे न अविश्वास
"सत्यनुभूति संग जीवन को,
फिर मिलता सुखद आभास।
यथार्थ धरातल पर जगत में,
पल-पल बना रहे विश्वास।।
अविश्वास संग जीवन पथ पर,
फिर मिलता पग पग आघात।
अपनत्व संग संग भी साथी,
फिर बने न कोई बात।।
स्नेंह संग विश्वास साथी,
देता मन को शक्ती
अपार।
जीवन बगिया में साथी फिर,
कभी पनपे न विकार।।"
सुनील कुमार गुप्ता
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