हो गईं बातें पुरानी मेरी।
ढल रही जबसे जवानी मेरी।
****
ये गुमाँ भी हो गया लोगों को।
हो गईं ये है दिवानी मेरी।
****
वक्त की रफ्तार भी थम जाएगी।
देख लेगा जो रवानी मेरी।
****
आंख में आंसू तुम्हारी होंगे।
जो सुनोगे तुम कहानी मेरी।
****
यूं पराए हो गए अपने कुछ।
फेंक दी बाहर निशानी मेरी।
****
सुनीता असीम
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें