सुनीता असीम

कार्यशाला से प्राप्त ग़ज़ल:-


 


 


पुरानी कहानी भुलाने न पाए।


वो यादों की चिलमन गिराने न पाए।


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 मेरे दिल के भीतर हैं यादें सुहानी।


कोई मुझसे इनको चुराने पाए।


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निशाना हुआ दिल मुहब्बत में पड़कर। 


उन्हें हाले दिल पर सुनाने पाए। 


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 नजारे हसीं थे वो नजरें हसीं थीं।


मगर प्यार अपना बताने न पाए।


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वो अनपढ़ रहे इश्क के मामले में।


उन्हें पाठ दिल के पढ़ाने न पाए।


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सुनीता असीम


१८/१०/२०२०


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