सुनीता असीम

सीख इस प्यार की सीखी है तुम्हीं से हमने।


हौंसले अपने बढ़ाए हैं यकीं से हमने।


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जिनसे शिक्षा है मिली दान दया की हमको।


ली मुहब्बत की इनायत भी उन्हीं से हमने।


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सरफ़रोशी की तमन्ना थी जगी दुनिया में।


जोश का जज्बा लिया सिर्फ वहीं से हमने।


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एक राजा था हुआ और हुई इक रानी।


ये कहानी सुनी है पहले कहीं से हमने।


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पार सागर के क्षितिज जो है दिखाई देता।


आसमां को यूं मिलाया है ज़मीं से हमने।


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सुनीता असीम


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