हे!राम
हे!राम तुम्हारी धरती पर,
अब सत्य पराजित होता है ।
चहुँ ओर दिखे अन्याय यहाँ,
नित ,रावण, पूजित होता है ।
तुमने तो कुटूम्ब की खातिर ,
राज्य त्याग वनवास लिया ।
भ्रातृ धर्म ,पति धर्म निभाया ,
पापी रावण का नाश किया ।
विजय सत्य की होती है ,
यह ही सन्देश तुम्हारा है ।
हे!पुरुषोत्तम तुम फिर जन्मो ,
जन जन ने तुम्हें पुकारा है ।
हे ! राम तुम्हारी धरती पर ,
अब पाप कपट फिर छाया है।
सब त्राहिमाम हैं बोल उठे ,
जब दिखा दुःखों का साया है।
हे! राम दया दृग खोलो प्रभु,
अब फिर से सब संताप हरो ।
है भोली जनता बिलख रही ,
हे! पुरुषोत्तम अब माफ़ करो ।
जब रावण, खर ,दूषण मारे,
तो इन दुष्टों की क्या क्षमता।
अतुलित बलशाली राम प्रभू,
तुमसे दैत्यों की क्या समता।
हे! प्रभू बचा लो सृष्टि को ,
यह ही फरियाद हमारी है ।
हे! पुरुषोत्तम तुम फिर प्रकटो
ये दुनिया तुम्हें पुकारी है ।
सुषमा दीक्षित शुक्ला
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