जयति जय माँ कात्यायनि,
जयति जय जय दुर्गमा ।
हे! मातु हम तो शिशु तुम्हारे ,
अब मेरा कल्याण कर माँ ।
दुनिया के जननी तू मैया,
तुझ पर अर्पण तन मन धन ।
तू माता है तू दाता है ,
तू ही जीवन और मरन ।
नजरें कभी न फेरो हे! माँ
इतनी सी फरियाद मेरी ।
भूल चूक सब क्षमा करो माँ
दुनिया हो आबाद मेरी ।
सारी दुनिया रूठ भी जाये,
तुम ना रूठो प्यारी माँ ।
सारी दुनिया अगर त्याग दे ,
नही त्यागती न्यारी माँ ।
तेरा धन है तेरा मन है,
तेरा ही ये तन मेरा ।
तेरा सबकुछ तुम्हें समर्पित ,
क्या लागे इसमें मेरा ।
सुषमा दीक्षित शुक्ला
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