सुषमा दीक्षित शुक्ला

प्रकटे बापू 


 


दो अक्टूबर महापर्व है,


 भारत के इतिहास में 


प्रकटे बापू भानु इसी दिन ,


धरा देख तम पाश में ।


सत्य अहिंसा व्रत को लेकर,


चरख चक्र ले हाथ में ।


मिटा दिया दासत्व कलुष तम


अंकित भारत माथ में ।


भय का बिल्कुल नाम नहीं था,


 सत्याग्रह आंदोलन में ।


सारी जनता मुग्ध हुई थी,


 महामंत्र के मोहन में ।


भय से कांपे हिंसक शासक,


 एक अहिंसक के आगे ।


पीछे चली निहत्थी सेना , 


 चला संत आगे आगे।


भीषण लू चलती हो चाहे,


 बरसे वर्षा का पानी ।


निर्भय संत बढा जाता था ,


पैरों में गति तूफानी ।


पाप गुलामी से जब धरती ,


त्राहि त्राहि थी चीख पड़ी।


मोहन ने तब गाँधी बनकर ,


भारत माता मुक्त करी ।


इसी दिवस तो शास्त्री जी भी ,


भारत मे थे जन्मे ।


धर्मवीर थे कर्म वीर थे ,


सत्यनिष्ठ थे पक्के।


 


सुषमा दीक्षित शुक्ला


लखनऊ


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