दानवों का हुआ पल में संहार है
माँ भवानी लिए आज तलवार है
तू ही है लक्ष्मी और काली भी तू
वैष्नों भी तो तेरा ही अवतार है
माँगना जिसको जो भी है वो माँग ले
*अम्बे माँ का सजा आज दरबार है*
लौ लगाते हैं तुझसे सभी शारदे
पल में करती तू सबका जो उद्धार है
ज्ञान यश लाभ वैभव सभी तुझ से हैं
तुझसे ही पल्लवित सारा संसार है
दीन दुखियों को तुझ पर यक़ीं है बहुत
तेरी ममता से मन इनका गुलज़ार है
मुझको तूफान साग़र डरायेगा क्या
मेरी माता के हाथों में पतवार है
🖋️विनय साग़र जायसवाल
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