प्यार की फिर शुरूआत होने लगी
रोज़ उनसे मुलाकात होने लगी
उनके जलवों से रौशन है दिल का जहाँ
उनकी इतनी इनायात होने लगी
हर नज़र मुझको हैरत से तकती है अब
उनसे जब से मेरी बात होने लगी
कितना मौसम ये दिलकश अचानक हुआ
आप हैं पास बरसात होने लगी
दोस्तों ने कहा उनसे ऐसा भी क्या
उनको हमसे शिकायात होने लगी
वक़्त ने हमसे बदली है ऐसी नज़र
बाज़िये-ज़ीस्त में मात होने लगी
दोस्तों का भला अब यक़ीं क्या रहा
दोस्ती में यहाँ घात होने लगी
रोज़ *साग़र* ख़यालों में आते हैं वो
यूँ भी रंगीन हर रात होने लगी
🖋️विनय साग़र जायसवाल
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