ग़ज़ल
अपने तू दिल की आज ये हसरत मिटा के देख
मेरी वफ़ा-ए-शौक को तू आज़मा के देख
मिट जायेगा अंधेरे का सारा ग़ुरूर ख़ुद
बस इक चराग़ प्यार का दिल में जला के देख
किस दर्जा दिल में प्यार है मेरे भरा हुआ
आँखों के दायरे में ज़रा मुस्कुरा के देख
खिलने लगेंगे फूल से दिल के दयार में
मेरे करीब आने का तू मन बना के देख
कह दे सितमगरों से निकालें ग़ुबारे-दिल
मेरे खिलाफ़ तू उन्हें भी बरग़ला के देख
आजायेंगे हज़ार हा पत्थर तेरी तरफ़
इल्ज़ाम इक अमीर के सर पर लगा के देख
*साग़र* मेरी ग़ज़ल में है तेरा हरेक अक्स
तन्हाइयों में इसको ज़रा गुनगुना के देख
🖋️विनय साग़र जायसवाल
15/10/2020
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