मतला---
ख़ुशरंग इस लिए भी नज़ारा न हो सका
हम उसके हो गये जो हमारा न हो सका
हर राज़ फाश कर जो दिया राज़दार ने
क़िस्मत का यूँ बुलंद सितारा न हो सका
उस बेवफ़ा ने प्यार जताया तो बारहा
हमको ही उससे प्यार दुबारा न हो सका
रहते भी कैसे राहे-मुहब्बत में गामज़न
उस सम्त से जो कोई इशारा न हो सका
मंज़िल के अनकरीब से यूँ लौट आये हम
उसका ग़ुरूर हमको गवारा न हो सका
समझेगा कौन उसके भला दिल के दर्द को
माँ बाप का जो बेटा सहारा न हो सका
साग़र सुराही जाम गले यूँ लगा लिए
इनके बग़ैर अपना गुज़ारा न हो सका
🖋️विनय साग़र जायसवाल
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