🌹🙏🌹सुप्रभात🌹🙏🌹
छठ
छठ की छटा सुहानी है ,
मन निरमल हो जानी है,
ये हरती हर परेशानी है,
अस्त को नमन करें जो,
अद्भुत इसकी कहानी है,
स्वच्छता संयम नियम व्रत,
है ये निर्जला का कठिन तप,
अभक्ष्य सारे हैं इसमें वर्जित,
बिना मध्यस्थता के ये पूजित,
समरसता की यह दीवानी है।
है यह अलग पूजन अद्भुत,
गेहूं गन्ना मूली फल प्रसाद है
कृषकों के कर्षण से पूजित,
लेस न इसमें आलस्य प्रमाद है,
अनुपम आदित्य की कहानी है ।
सृजित सृष्टि मूल के छठे अंश से
देवसुता देवसेना ही छठी कहलाती है ।
संयत से संयम, खरना खाना एक शाम,
अस्ताचल औ उदयाचल अर्घ्य से खुश हो जाती है ।
ममतामई की महिमा मधुरिम सारे जग ने मानी है
✍️आचार्य गोपाल जी उर्फ आजाद अकेला बरबीघा वाले
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