ज्योति
ज्योति चाहे ज्योति से मिलने, बिन ज्योति जग सुन ।
ज्योति से ही सारा संसार है, रे मन तुम भी ज्योति ढूंढ ।
हे परम प्रभु तेरी ज्योति से, ये सारा जग जगमग है ।
चहू ओर पसरी प्रकाश तुम्हीं से, तुम से ही जग चकमक है ।
हे ईश्वर! तुम्हें इस जग में, प्रज्वलित प्रकाश करना होगा ।
अज्ञान तिमिर को दूर भगा कर, नूतन प्रभा बिखेरना होगा ।
✍️ आचार्य गोपाल जी उर्फ आजाद अकेला बरबीघा वाले
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