दिनांकः ०८.११.२०२०
छंदः मात्रिक
दिवसः दोहा
विषयः महल
शीर्षकः महल शान्ति का हो चमन
तरुणाई आशा महल , आज विश्व आधार।
नव ऊर्जा निर्माण का , नव विकास उपहार।।१।।
नया जोश कर्तव्य रत , स्वप्न महल अरमान।
युवाशक्ति निर्मातृ जग , राष्ट्र शक्ति सम्मान।।२।।
सकल सुखद धन सम्पदा , महल सदा पर्याय।
अधिकारी ऐय्याश का , दलित दीन अन्याय।।३।।
भारत हो ऐसा महल , सब हों एक समान।
जाति धर्म सब भूल कर, खिले सुखद मुस्कान।।४।।
धन वैभव खुशियाँ सुखद,कुसुमित मुख मुस्कान।
दीन धनी निर्भेद हो , पूर्ण महल अरमान।।५।।
क्या महत्त्व अट्टालिका , राजमहल प्रासाद।
भूख प्यास छत बिन वसन ,जीवन बस अवसाद।।६।।
सतरंगी अरुणिम प्रभा , खिले महल परिवेश।
प्रीति रीति सद्भाव रस , मानवीय संदेश।।७।।
महल शान्ति का हो चमन , भातृभाव सहयोग।
सदाचार पथ हो सकल , क्षमा दया संयोग।।८।।
मति विवेक मन मंत्र हो , कर्म शक्ति हो यंत्र।
हवनकुण्ड दुर्भाव जल , महल शुद्ध गणतंत्र।९।।
कवि निकुंज अभिलाष मन ,भारत हो अभिराम।
चारु प्रकृति सुरभित महल,शौर्य सुयश सुखधाम।।१०।।
कवि✍️ डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
रचनाः मौलिक (स्वरचित)
नई दिल्ली
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