डॉ. राम कुमार झा निकुंज

दिनांकः ०८.११.२०२०


छंदः मात्रिक


दिवसः दोहा


विषयः महल 


शीर्षकः महल शान्ति का हो चमन


 


तरुणाई आशा महल , आज विश्व आधार।


नव ऊर्जा निर्माण का , नव विकास उपहार।।१।।


 


नया जोश कर्तव्य रत , स्वप्न महल अरमान।


युवाशक्ति निर्मातृ जग , राष्ट्र शक्ति सम्मान।।२।। 


 


सकल सुखद धन सम्पदा , महल सदा पर्याय।


अधिकारी ऐय्याश का , दलित दीन अन्याय।।३।।


 


भारत हो ऐसा महल , सब हों एक समान।


जाति धर्म सब भूल कर, खिले सुखद मुस्कान।।४।।


 


धन वैभव खुशियाँ सुखद,कुसुमित मुख मुस्कान।


दीन धनी निर्भेद हो , पूर्ण महल अरमान।।५।।


 


क्या महत्त्व अट्टालिका , राजमहल प्रासाद।


भूख प्यास छत बिन वसन ,जीवन बस अवसाद।।६।।


 


सतरंगी अरुणिम प्रभा , खिले महल परिवेश।


प्रीति रीति सद्भाव रस , मानवीय संदेश।।७।।


 


महल शान्ति का हो चमन , भातृभाव सहयोग।


सदाचार पथ हो सकल , क्षमा दया संयोग।।८।।


 


मति विवेक मन मंत्र हो , कर्म शक्ति हो यंत्र।


हवनकुण्ड दुर्भाव जल , महल शुद्ध गणतंत्र।९।।


 


कवि निकुंज अभिलाष मन ,भारत हो अभिराम।


चारु प्रकृति सुरभित महल,शौर्य सुयश सुखधाम।।१०।।


 


कवि✍️ डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"


रचनाः मौलिक (स्वरचित)


नई दिल्ली


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