*राम बाण🏹*
हर्षित हैं देवों की नगरी,
सरयू तट में दिया जले।
तीर्थ पर्व है राम धाम में,
देव दर्श से पुण्य पले।
धरती के आँचल में बिखरी,
रोशनी चारों ओर है।
राम दर्श को पाने देखो,
व्याकुल हुआ ये भोर है।
दीप गर्वित हुये हैं खुद से,
विपदाओं के काल टले।
हर्षित है देवों की नगरी,
सरयू तट पर दिया जले।
लंबी चौड़ी डींगों नें भी,
सारी सीमा तोड़ दिये।
कोर्ट कचहरी दावों ने,
संबंधों से होड़ किये।
सनातनी मर्यादाओं ने,
सबका दिल से किया भले।
हर्षित है देवों की नगरी,
सरयू तट पर दिया जले।
कोई संतों की वाणी बन,
भक्ति भाव को जगा रहे।
धर्म कर्म के सेवक प्रहरी,
अंध तमस को हटा रहे।
दीप जलेंगे धीर धरेंगे,
प्रिय को प्रियतम हिया मिले।
हर्षित है देवों की नगरी,
सरयू तट पर दिया जले।
*डॉ.रामकुमार चतुर्वेदी*
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