पंचम चरण(श्रीरामचरितबखान)-31
भालू-मरकट सब बलवाना।
तिन्ह पे कृपा राम भगवाना।।
सकत जीति सभ कोटिक रावन।
जदपि सेन तव नाथ भयावन।।
राम-तेज-बल-बुद्धि-खजाना।
करि नहिं सकहिं सेष अपि नाना।।
एकहि राम-बान सत-सागर।
सोखि करै जस राम उजागर।।
करिहउँ पार केहि बिधि ताता।
पूछे राम बिभीषन भ्राता।।
सुनत बिचार बिभीषन रामा।
सिंधु क बिनय कीन्ह बलधामा।।
सुनि तब बिहँसि कहा दससीषा।
यहि तें ले सहाय रिपु कीसा।।
सिंधु-कृपा माँगै रिपु मोरा।
करु न बखान सुनब नहिं छोरा।।
रिपु-बल-थाह मिला सभ हमका।
जीति न सकै तपस हम सबका।।
सुनि अस मूढ़ बचन रावन कै।
दूत दीन्ह तेहिं पत्र लखन कै।।
दोहा-पत्र लिखा सुनु रावनहि,देहु सीय लौटाय।
नहिं त नास तव कुल सहित,जदपि त्रिदेव सहाय।।
पढ़ि अस लेख दसाननय,क्रोधित मन लइ आस।
कह,चाहै महि लेटि के,मूरख छुवन अकास।।
डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
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