डॉ0 हरि नाथ मिश्र

पंचम चरण(श्रीरामचरितबखान)-31


 


भालू-मरकट सब बलवाना।


तिन्ह पे कृपा राम भगवाना।।


     सकत जीति सभ कोटिक रावन।


     जदपि सेन तव नाथ भयावन।।


राम-तेज-बल-बुद्धि-खजाना।


करि नहिं सकहिं सेष अपि नाना।।


     एकहि राम-बान सत-सागर।


     सोखि करै जस राम उजागर।।


करिहउँ पार केहि बिधि ताता।


पूछे राम बिभीषन भ्राता।।


       सुनत बिचार बिभीषन रामा।


       सिंधु क बिनय कीन्ह बलधामा।।


सुनि तब बिहँसि कहा दससीषा।


यहि तें ले सहाय रिपु कीसा।।


       सिंधु-कृपा माँगै रिपु मोरा।


        करु न बखान सुनब नहिं छोरा।।


रिपु-बल-थाह मिला सभ हमका।


जीति न सकै तपस हम सबका।।


     सुनि अस मूढ़ बचन रावन कै।


      दूत दीन्ह तेहिं पत्र लखन कै।।


दोहा-पत्र लिखा सुनु रावनहि,देहु सीय लौटाय।


        नहिं त नास तव कुल सहित,जदपि त्रिदेव सहाय।।


        पढ़ि अस लेख दसाननय,क्रोधित मन लइ आस।


         कह,चाहै महि लेटि के,मूरख छुवन अकास।।


                        डॉ0हरि नाथ मिश्र


                          9919446372


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