दोहे
छठ-पूजा फलदायिनी,सुखी रखे परिवार।
अस्ताचल-रवि अर्घ्य दे,ज्ञापित हो आभार।।
छठ माता का व्रत कठिन,पर फल दे भरपूर।
उदित सूर्य का अर्घ्य दे,सुत रवि सम ले नूर।।
गंगा भारत-आतमा, औषधि इसका नीर।
पाप-नाशिनी जान्ह्वी, हरे कष्ट गंभीर ।।
शंकर-शिख शोभा यही,महिमा अपरंपार।
पुण्यदायिनी गंग को,करें नमन शत बार।।
सूर्य नहीं तो जग नहीं,सूर्य-रश्मि जग-प्राण।
रवि नित किरण पसार कर,करे जगत-कल्याण।
रवि-आभा से ही मिले,अन्न-फूल-फल-नीर।
ऋतु-परिवर्तन भी करें,सूर्य देव बलवीर।।
सरिता सागर से मिले,हर्षित-पुलकित गात।
पथरीले पथ बह चले,कोटिक सह आघात।
जीवन को उत्सव समझ,हिय में भरे हुलास।
सकारात्मक सोच से,मिलता पूर्ण उजास।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
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