डॉ0 हरि नाथ मिश्र

दोहे


छठ-पूजा फलदायिनी,सुखी रखे परिवार।


अस्ताचल-रवि अर्घ्य दे,ज्ञापित हो आभार।।


 


छठ माता का व्रत कठिन,पर फल दे भरपूर।


उदित सूर्य का अर्घ्य दे,सुत रवि सम ले नूर।।


 


गंगा भारत-आतमा, औषधि इसका नीर।


पाप-नाशिनी जान्ह्वी, हरे कष्ट गंभीर ।।


 


शंकर-शिख शोभा यही,महिमा अपरंपार।


पुण्यदायिनी गंग को,करें नमन शत बार।।


 


सूर्य नहीं तो जग नहीं,सूर्य-रश्मि जग-प्राण।


रवि नित किरण पसार कर,करे जगत-कल्याण।


 


रवि-आभा से ही मिले,अन्न-फूल-फल-नीर।


ऋतु-परिवर्तन भी करें,सूर्य देव बलवीर।।


 


सरिता सागर से मिले,हर्षित-पुलकित गात।


पथरीले पथ बह चले,कोटिक सह आघात।


 


जीवन को उत्सव समझ,हिय में भरे हुलास।


सकारात्मक सोच से,मिलता पूर्ण उजास।।


            ©डॉ0हरि नाथ मिश्र


                9919446372


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