डॉ0 हरि नाथ मिश्र

*ग़ज़ल*


        *ग़ज़ल*


एक भी गम न दिल से लगाया करो,


तुम हमेशा ही यूँ, मुस्कुराया करो।।


 


रात की तीरगी जब सताने लगे,


प्यारे चंदा को अपने बुलाया करो।।


 


प्यार छुपता नहीं जानते हैं सभी,


प्यार की बातों को मत छुपाया करो।।


 


तिश्नगी प्यार की जब सताने लगे,


नीर काली घटा से बहाया करो।।


 


ज़हनो-दिल तक पहुँचती है यह रोशनी,


प्यार की ज्योति हरदम जलाया करो।।


 


ज़िंदगी का सफ़र यूँ सुहाना रहे,


साथ में रह के वादा निभाया करो।।


 


अस्ल में मुस्कुराना ही है ज़िंदगी,


मुस्कुरा कर हमें भी जिलाया करो।।


 


ज़रा हँस के जी लें सभी कुछ ही पल,


दास्ताँ कोई ऐसी सुनाया करो ।।


                ©डॉ. हरि नाथ मिश्र


                    9919446372


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