राम-कथा
नगर अयोध्या है बसा,पावन सरयू-तीर।
जन्म-भूमि यह राम की,भरी फूल-फल-नीर।
गुरु वशिष्ठ-आशीष से,राम सहित सब भ्रात।
शिक्षा ले कर हो गए,गूढ़ ज्ञान-निष्णात।।
पुनि जा विश्वामित्र सँग,राम-लखन धनु-वीर।
बध कर दनुजों को किए, यज्ञ-कर्म अति थीर।।
पिता-वचन को मानकर,ले हिय में विश्वास।
राम,लखन-सीता सहित,वन में किए निवास।।
रावण सिय हर ले गया,सिंधु-पार निज धाम।
ले कर कपि-दल शीघ्र ही,किए चढ़ाई राम।।
कर विनाश लंका सहित,रावण-सकल समाज।
किए थापना राम जी,सुखी-राममय-राज।
होती है जय सत्य की,हैं प्रमाण प्रभु राम।
जग-मिथ्या अभिमान से,बने न कोई काम।
© डॉ0 हरि नाथ मिश्र
9919446372
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