सजल(मात्रा भार-16)
बाग एक गुलज़ार चाहिए,
जिसमें रहे बहार चाहिए।।
कभी न रूखा होए जीवन,
एक अदद बस प्यार चाहिए।।
आपस में बस रहे एकता,
ऐसा ही व्यवहार चाहिए।।
सत्य-अहिंसा-मानवता ही,
जीवन का आधार चाहिए।।
रहे स्वच्छता ध्येय हमारा,
ऐसा उच्च विचार चाहिए।।
जो भी हैं असहाय व रोगी,
उचित उन्हें उपचार चाहिए।।
घृणा-भाव का हो विनाश अब,
प्रेम-भाव-विस्तार चाहिए।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
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