सजल
मात्रा भार-16
इस भारत भू पर आस जगा,
अपना इसपर विश्वास जगा।।
मातृ-भूमि की सेवा के प्रति,
मन में अपने उल्लास जगा।।
त्याग और बलिदान लक्ष्य हो,
भोग के भाव न विलास जगा।।
जिनमें नहीं भला की भावना,
भाव-शून्य मन उदास जगा।।
शिक्षा-दीक्षा जहाँ अधूरी,
जा,शिक्षा-क्रांति-विकास जगा।।
असहायों की कर सहायता,
जला आस-दीप हुलास जगा।।
मानवता ही धर्म एक है,
जन में ऐसा आभास जगा।।
© डॉ0 हरि नाथ मिश्र
9919446372
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