चौपाई ग़ज़ल
मात्रा भार-16
जीवन में मत करो उधारी,
चाहे मिले छूट सरकारी।।
करो परीश्रम निज बल-बूते,
मिले तुम्हें रोटी-तरकारी।।
अपने को असहाय न समझो,
अपनी समझो जिम्मेदारी।।
कोसो नहीं भाग्य को भाई,
देखो तुझमें है खुद्दारी।।
साहस और विवेक न खोना,
यही धरोहर तेरी भारी।।
काम-क्रोध,मद-लोभ न रखना,
ये जीवन के अत्याचारी।।
अनुशासन-नियमन हैं रक्षक,
करते सदा प्राण-रखवारी।
©डॉ0 हरि नाथ मिश्र
9919446372
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