*पंचम चरण*(श्रीरामचरितबखान)-19
मोंतें कहीं चलत सिय माता।
अनुज संग चरनन्ह धइ ताता।।
कहहु नाथ त्यागे मोंहि काहें।
बहु अनुराग चरन महँ आहें।।
मानू दोषु एक अह मोरा।
तजि न सके प्रान जब छोरा।।
नैन बारि अरु स्वांस समीरा।
बिरह आगि कस जरे सरीरा।।
बरनि न जाय कष्ट सिय माता।
लाउ ताहिं बहु बेग बिधाता।।
एक-एक पल कलप समाना।
बीतहिं सिय सुनु कृपानिधाना।।
सुनि कपि-बचन नेत्र जल आवा।
बिकल राम सुनि सीय-कहावा।।
मन-क्रम-बचन,चरन-अनुरागी।
तदपि भईं सिय अस दुखभागी।।
सुनु हनुमान तोर उपकारा।
सुर-नर-मुनिन्ह सबहिं तें प्यारा।।
कस हम होब उरिन सुत तुम्ह तें।
तुमहिं कहहु उपाय कछु हम तें।।
पुलकित गात अश्रु भरि लोचन।
पुनि-पुनि कह प्रभु कष्ट-बिमोचन।।
दोहा-लखि के प्रभु प्रमुदित मना,हरषित हो हनुमान।
धाइ परेउ प्रभु-कमल पद, कहत रच्छ भगवान।।
डॉ0 हरि नाथ मिश्र
9919446372
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