डॉ0 हरि नाथ मिश्र

गीत(पल-दो-पल)-16/10


पल-दो पल के इस जीवन में,


बस प्यार बाँट ले।


बिना किसी भी भेद-भाव के-


तु दुलार बाँट ले।।


 


बड़े भाग्य से मिला मनुज-तन,


तू जरा सोच ले।


हिस्से में जो मिले तुम्हें पल,


उनको दबोच ले।


आपस में सब मिल सुख-दुख का-


संसार बाँट ले।।


         बस प्यार बाँट ले।।


 


कपट और छल कभी न करना,


बस यही धर्म है।


मददगार निर्बल का बनना,


बस यही कर्म है।


अंतर भेद मिटा प्रेम -भाव-


व्यवहार बाँट ले।।


     बस प्यार बाँट ले।


 


आज रहे कल रहे न जीवन,


बस यही कहानी।


 हर पल को मुट्ठी में रखकर,


दो अमिट निशानी।


हर मुश्किल को अभी हराकर-


दुःख-भार बाँट ले।।


      बस प्यार बाँट ले।।


 


संकट तो एहसास मात्र है,


बस यही तथ्य है।


साहस से यह कट जाता है,


बस यही सत्य है।


साहस अब दिखलाकर प्यारे-


आभार बाँट ले।।


     बस प्यार बाँट ले।।


           © डॉ0 हरि नाथ मिश्र


              9919446372


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