डॉ0 हरि नाथ मिश्र

तेरहवाँ अध्याय (श्रीकृष्णचरितबखान)-8


 


लीला-भूमि अहै ई कृष्ना।


क्रोध रहै न रहै इहँ तृष्ना।।


    अति पबित्र बृंदाबन-धामा।


    भव-भय मिटै भजत यहि नामा।।


सभ जन प्रेमी-मीत समाना।


मिलि-जुलि रहैं छाँड़ि अभिमाना।।


   बृंदाबन-दरसन करि ब्रह्मा।


   किसुन जानि परब्रह्म सुधर्मा।।


लखे किसुन घूमहिं चहुँ-ओरा।


जे अनंत लइ गोपन्ह छोरा।।


    दधि अरु भात कौर लइ हाथे।


    खोजहिं बछरू गोपन्ह साथे।।


ग्यान किसुन कै परम अगाधा।


इत-उत भटकहिं तदपि अबाधा।।


    गोप-सखा सँग लीला करहीं।


महिमा नाथ न जाय बरनहीं।।


    ब्रह्मा तजि निज बाहन हंसा।


    महि पे कूदि परे तहँ सहसा।।


चारिउ मुकुट नवाय प्रनामा।


करन लगे पद-पंकज-स्यामा।


      नैनन अश्रु बहन तब लागा।


      ब्रह्मा-मन महँ बहु अनुरागा।।


करि-करि सुधि प्रभु-महिमा पुनि-पुनि।


गिरहिं-उठहिं सिर पीटहिं धुनि-धुनि।।


    पुनि ब्रह्मा गिरि प्रभु के चरना।


     रह बड़ देर न जाये बरना।।


दोहा-धीरे-धीरे पुनः उठि, पोंछे नैनन नीर।


      कीन्ह सीष अवनत तुरत,लखतहिं प्रभू अधीर।।


     ब्रह्मा कर जोरे उभय,कंपित तन-अरु गात।


     अति बिनम्र एकाग्र भइ, गदगद कह निज बात।।


                    डॉ0 हरि नाथ मिश्र।


                     9919446372


 


पंचम चरण (श्रीरामचरितबखान)-14


 


यहि जग मोर प्रभू कै आवन।


भवहिं सुनहु सठ तुमहिं सिखावन।।


     तुम्ह सम सहस भूप नहिं तोरा।


      तोरे सो प्रभु धनुष कठोरा।।


त्रिसिरा अरु खर-दूषन मारे।


मायामृग मारिचिहिं तारे।।


     तुम्हरो करतब मैं भल जानूँ।


     लरे सहस्र बाहु सँग मानूँ।।


मोर प्रभू बाली-बध कीन्हा।


मारि क ताहि परम गति दीन्हा।।


     कपि-सुभाव खाऊँ फल मीठा।


      भूखि परे सुनु मैं नहिं डीठा।।


तरु उखारि मारउँ जे मारा।


यहि मा कछु नहिं दोषु हमारा।।


    मैं मारा बस तिनहिं पछारी।


    की जे मोरे सँग तकरारी।।।


लाजु न मोहिं कि बाँधे मोहीं।


प्रभु कै काजु लाजु कस होहीं।।


    सुनहु कहहुँ मैं निज कर जोरे।


    सुमिरउ राम-नाम प्रभु तोरे।।


तव पुरुखन-प्रताप जग जानै।


अति पबित्र कुल तव सभ मानै।।


    तजि मन-भरम-दंभ-अभिमाना।


    रामहिं-राम भजहु धरि ध्याना।।


सोरठा-राम खरहिं अति नेह,भूलि तासु अवगुन सकल।


           नहिं कोऊ सँग भेह, जे प्रभु कै सुमिरन करै।।


                           डॉ0 हरि नाथ मिश्र


                            9919446372


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