डॉ0 हरि नाथ मिश्र

*परमवीर-चक्र-प्राप्त-अब्दुल हमीद*


 


परम वीर सुत बलि-वेदी पर,हर्षित शीष चढाए हैं,


लगा-लगा प्राणों की बाजी,माँ का मान बढ़ाए हैं।।


 


 परम वीर इक्कीस लाल ये,प्राणों का उत्सर्ग किए,


अरि के मद का मर्दन कर के,इस माटी को स्वर्ग किए।


क़तरा-क़तरा लहू बहा कर,माँ की लाज बचाए हैं-


परम वीर सुत बलि-वेदी पर हर्षित शीष चढाए हैं।।


 


लांस नायक श्री हमीद जा,रौशन अपना नाम किए,


तीन टैंक को तोड़ शत्रु के,नमन योग्य हैं काम किए।


अंत में घिर कर वे दुश्मन से,अपने प्राण गवाँए हैं-


परमवीर सुत बलि-वेदी पर,हर्षित शीष चढाए हैं।।


 


गौरव जनपद गाजीपुर के,वासी थे धामूपुर के,


यू0पी0 के वे रहनेवाले,दक्ष-निपुण कुश्ती-गुर के।


करके पस्त हौसले अरि के,जन-जन को वे भाए हैं-


परमवीर सुत बलि-वेदी पर,हर्षित शीष चढाए हैं।।


 


थल-सेना-नायक हमीद ने,नया एक इतिहास रचा,


तोप-सजी ले एक जीप से,तोड़ा टैंक न शेष बचा।


ऐसे नायक नमन योग्य हैं,ये आज़ादी लाए हैं-


परमवीर सुत बलि-वेदी पर,हर्षित शीष चढाए हैं।।


 


भूला नहीं कृतज्ञ देश यह,निडर हमीद बलवीर को,


पाक-युद्ध सन पैंसठ वाले,इसी महान रणधीर को।


परमवीर का चक्र इन्हें दे,हम सब खुशियाँ पाए हैं-


परमवीर सुत बलि-वेदी पर,हर्षित शीष चढाए हैं।।


               ©डॉ0हरि नाथ मिश्र


                    9919446372


               7/3/38,उर्मिल-निकेतन,गणेशपुरी,


               यशलोक हॉस्पिटल के बगल,


              देवकाली रोड, फैज़ाबाद।


                 अयोध्या-22 4001(उ0प्र0)


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