डॉ० रामबली मिश्र

प्रेम एक संकल्प हो


 


लो संकल्प प्रेम करने का।


प्रेम पंथ पर नित चलने का।।


 


प्रेम बने जीवन की नैया।


यह साधन आगे बढ़ने का।।


 


जीवन का आदर्श बने यह।


मन में रख इस पर चलने का।।


 


सबके प्रति आकर्षित होना।


आकर्षण पैदा करने का।।


 


दिल को अपने अमित बनाओ।


सोच अनंत गगन बनने का।।


 


सकल चराचर की बस्ती उर।


बनो व्रती प्रेमी बनने का।।


 


तामस मन का परित्याग कर।


सोचो पावन मन बनने का।।


 


अपने को ही सदा निखारो।


सोचो शिव प्रियतम बनने का।।


 


देख किसी को खुश हो जाना।


मन चाहे दिल में रखने का।।


 


भोग-इंद्रियों का नियमन हो।


बन प्रतिज्ञ प्रेम करने का।।


 


नरक कुंड के द्वार बंद हों।


सोचो खुद स्वर्गिक बनने का।।


 


प्रेम यज्ञ में मन की आहुति।


कामेच्छाओं को जलने का।।


 


जीवन प्रेम एक हो जाये।


सीखो मंत्र प्रेम करने का।।


 


दृश्यमान हो सिर्फ प्रेम ही।


कर अभ्यास मंत्र जपने का।।


 


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी


9838453801


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