संभाषण
मधुर वचन कह मोहित करना।
सबको अपने वश में रखना।।
कर सबसे संवाद प्रेम से।
विनय भाव से सबसे मिलना।।
हाल-चाल हो हर प्राणी से ।
खोज-खबर नित लेते चलना।।
हर मानव से प्रिय रिश्ता हो।
मधु वाणी में बातें करना।।
स्व से पर की ओर निकल पड़।
पर को गले लगाते रहना।।
भेदभाव सब अब समाप्त हो।
भेद दृष्टि को पाप समझना।।
अपना पेट सभी भरते हैं।
भूखों को भी देते रहना।।
आदर अरु सत्कार मुख्य हैं।
अतिथि भाव सबके प्रति रखना।।
दिल को जीत बैठ सिंहासन।
सबके उर में सहज उतरना।।
नहीं किसी को छोटा समझो।
अपने छोटा बनकर रहना।।
यह संसार एक मानव है।
सब को एक समझते रहना।।
भेद करो मत नर- नारी में।
सब को ईश्वर रूप समझना।।
सभी प्यार के काबिल जग में।
सब को प्रेम सिखाते रहना।।
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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