बिके अगर तो.....
बिके अगर तो दास बनोगे।
क्रयकर्त्ता के पास रहोगे।।
क्रयकर्त्ता ही तेरा मालिक।
बिक कर मत बनना नाबालिक।।
बेच रहे क्यों तन-मन अपना।
मंत्र गुलामी का क्या जपना?
घुसखोर है मूर्ख अभागा।
पड़त टूट मांस पर कागा।।
गलत ढंग से अर्थ कमाना।
मतलब गड्ढे में गिर जाना।।
अर्थ हेतु मत हाथ बढ़ाओ।
नैतिकता का पाठ पढ़ाओ।।
बेचो मत अपने आतम को।
नहीं बुलाओ प्रेत-आतम को।।
गलती मत कर बेच स्वयं को।
पराधीन मत करो स्वयं को।।
श्रम का धन सबसे उत्तम है।
सदा परिश्रम सर्वोत्तम है।।
मर्यादा का पालन करना।
सम्मानित स्थिति में रहना।।
सीना ताने चलते रहना।
नहीं किसी के ताने सुनना।।
क्रय-विक्रय से नाता तोड़ो।
दिव्य शान से रिश्ता जोड़ो।।
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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