मीत -दर्शन
मीत -दर्शन ईश- दर्शन एक है।
मीत मोहक सुघर सुंदर नेक है।।
मीत को दिल में सजाना धर्म है ।
मीत का सम्मान ही सत्कर्म है।।
मीत को दिल से लगाना पुण्य है।
मीत का प्रेमी निरंतर स्तुत्य है।।
मीत का मिलना सहज सौभाग्य है।
मीत-द्रोही पतित निशिचर त्याज्य है।।
मीत ईश्वर से मिला वरदान है।
मीत से मिलता सदा सद्ज्ञान है।।
मीत मिलता है जिसे वह धन्य है।
मीत पावन धाम मान अनन्य है ।।
मीत ही शिव राम प्रिय घनश्याम है ।
मीत ही सर्वोच्च सुंदर नाम है।।
मीत का साथी बने चलते रहो।
मीत के ही हृदय में बहते रहो।।
मीत को पा कर सदा नित खुश रहो।
मीत का मुँह चूमते चलते रहो।।
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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