*त्रिपदी*
जिसका तन-मन निर्मल रहता,
मिलती उसको सदा सफलता।
सुखी वही जीवन भर रहता।।
बल-विद्या-धन-पौरुष अपना,
करें पूर्ण सदा ही सपना।
कभी घमंड न इनपर करना।।
मानव-जीवन सबसे सुंदर,
यदि है पावन भी अभ्यंतर।
मिलता सुख है तभी निरंतर।।
देश-भक्ति का भाव न जिसमें,
पत्थर दिल रहता है उसमें।
देश-प्रेम भी होए सबमें ।।
निज माटी का तिलक लगाओ,
तिलक लगाकर अति सुख पाओ।
मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाओ।।
अपनी धरती,अपना अंबर,
वन-पर्वत,शुचि सरित-समुंदर।
संस्कृति रुचिरा बाहर-अंदर।।
सदा बड़ों का आदर करना,
स्नेह-भाव छोटों से रखना।
रहे यही जीवन का सपना।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र।
9919446372
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