बाल-गीत
चुन्नू-मुन्नू दौड़े आओ,
बैठ धूप में मौज उड़ाओ।
सूरज बाबा देख उगे हैं,
लख के उल्लू इन्हें भगे हैं।।
चंदा मामा भागे मिलने,
मामी के सँग बातें करने।
तारे दीपक रात जलाएँ,
नाचें-गाएँ मौज मनाएँ।।
अब आई है दिन की बारी,
धूप खिली है प्यारी-प्यारी।
देखो मम्मी तुम्हें पुकारे,
रंग-विरंगे ले गुब्बारे ।।
बगल बाग में बंदर कूदें,
खेल-खेल में आँखें मूँदें।
इनसे बचकर रहना बच्चे,
बंदर कभी न मन के सच्चे।।
खेल-कूद कर खाना खाना,
खाना खा कर पढ़ने जाना।
पढ़-लिख कर तुम साहब बनना,
बन साहब जन-सेवा करना।।
सदा सत्य की राह पकड़ना,
कभी किसी से नहीं झगड़ना।
रहो देखते ऊँचे सपने,
सच्चे सपने होते अपने ।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें