डॉ०रामबली मिश्र

हवा और आदमी


 


आदमी यदि हवा हो गया तो गया।


आदमी की हवा उड़ गयी तो गया ।।


 


आदमी अरु पवन में बहुत फर्क है।


एक पृथ्वी बना इक गगन हो गया।।


 


एक दुनिया में रहकर बिताता समय।


एक आकाश में उड़ मगन हो गया।।


 


घिर गया आदमी वंधनों में बहुत।


किन्तु पावन पवन है सजन हो गया।।


 


चल रहा है पवन छूता सबको यहाँ।


आदमी छू दिया तो गजब हो गया।।


 


स्पर्श करती हवा अंग-प्रत्यंग को।


आदमी सट गया तो बुरा हो गया।।


 


मत करो आदमी का पवन से तुलन ।


आदमी मर गया तो पवन हो गया।।


 


 देख अंदर हवा और बाहर हवा।


बीच का आदमी भी हवा हो गया।।


 


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी


9838453801


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