*सुखद संवाद (तिकोनिया छंद)*
सुंदर बनकर,
मोहक कहकर।
हाथ जोड़कर।।
प्रेम स्वयंवर,
गलबहियाँ कर।
बोलो सुंदर।।
हँसकर मिलकर,
साथ चलाकर।
बाँह पकड़कर।।
हाथ मिलाकर,
साथ निभाकर।
घर पर जा कर।।
मीठी वाणी,
जनकल्याणी।
उत्तम प्राणी।।
उर हो पावन,
शुभ मनभावन।
सुंदर भावन।।
प्रेम किया कर,
सहज निरन्तर।
शुचि अभ्यंतर।।
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511