मिश्रा कविराय की कुण्डलिया
मित्र बने ऐसा मनुज, जिसके पावन भाव।
मन से निर्मल विमल हो, डाले सुखद प्रभाव।।
डाले सुखद प्रभाव, न मन में हो कुटिलाई।
नेक सहज इंसन, किसी की नहीं बुराई।।
कह मिश्रा कविराय, जो महकता बनकर इत्र।
ऐसे जन को खोज, बनाओ अपना प्रिय मित्र।।
:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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