*त्रिपदियाँ*
हम सब मिलकर काम करेंगे,
नहीं किसी की एक सुनेंगे।
मानवता के हेतु लड़ेंगे।।
जो कुण्ठाओं में जीता है,
विज्ञापन करता फिरता है।
प्रति क्षण खुद मरता रहता है।।
जो होता अतिशय मति मंदा,
करता रहता सबकी निंदा।
वह मटमैला दूषित गंदा।।
जो कृतघ्न दुष्ट अपकारी,
दानवता का सदा पुजारी।
वही अपावन अत्याचारी।।
पावन मन को नमस्कार है,
सच्चा मानव सदाचार है।
शुद्ध हृदय में गंगधार है।।
जो सबको अच्छा कहता है,
दिल से वह सच्चा लगता है।
कभी नहीं कच्चा होता है।।
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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