*माँ चरणों में...*
मिले चरण रज माँ का केवल।
माँ ही एक मात्र हैं संबल।।
कृपदायिनी माँ हैं जिस पर।
खुश रहता सारा जग उस पर।।
माँ का आशीर्वाद चाहिये।
जीवन शुभ आजाद चाहिये।।
माँ आ जाओ बैठ हंस पर।
दे माँ विद्या का उत्तम वर।।
सद्विविवेक दो आत्म ज्ञान दो।
सहनशील संकोच मान दो।।
पुस्तक लिखने की शिक्षा दो।
बुद्धिपूर्णता की भिक्षा दो ।।
करुणामृत रसपान करा माँ।
गंगा बन जलपान करा माँ।।
मन को सात्विक सहज बनाओ।
अपने शिशु को गले लगाओ।।
उतरो स्वर्ग लोक से माता।
आनंदी!हे प्रेम विधाता!!
प्रेम पंथ का पाठ पढ़ाओ।
श्रीमद्भगवद्गीता गाओ।।
कर्म योग का मर्म बताओ।
आत्मतोष की राह दिखाओ।।
सत्य-अहिंसा की हो चर्चा।
डालें मानवता का पर्चा।।
राग-द्वेष से ऊपर उठकर।
करें सभी से बातें सुंदर।।
शीघ्र मोहिनी मंत्र सिखाओ।
सारे जग को मित्र बनाओ।।
रहे क्रूरता नहीं जगत में।
सदा मित्रता भाव स्वगत में।।
जय जय जय जय जय जय माता।
मातृ अमृता!बन सुखदाता।।
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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