डॉ०रामबली मिश्र

*हरिहरपुरी की कुण्डलिया*


 


मन को सदा मनाइए, रहे संयमित नित्य।


नैतिकता की राह चल, करे सदा सत्कृत्य।।


करे सदा सत्कृत्य, सारी जड़ता छोड़कर।


बने चेतनाशील, माया से मुँह मोड़कर।।


कह मिश्रा कविराय,सतत क्षणभंगुर है तन।


यह विशुद्ध है सत्य,समझे इसको सहज मन।।


 


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी


9838453801


 


*मिश्रा कविराय की कुण्डलिया*


 


देखो हरिहरपुर सदा, मनमोहक आकार।


रामेश्वर जी पास में,निराकार साकार।।


निराकार साकार, करते रक्षा ग्राम की।


हरते अत्याचार, कष्ट दूर करते सकल।।


कह मिश्रा कविराय, सबमें रामेश्वर लखो ।


सबका बनो सहाय, सहोदर जैसा देखो ।।


 


रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी


9838453801


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...