तिकोनिया
प्रेम करोगे,
नित्य बढ़ोगे।
प्रगति करोगे।।
प्रेमी बनना,
खूब थिरकना।
दिल में बहना।।
अपलक बनकर,
नजर मिलाकर।
रच-बस जा कर।।
बढ़ो अनवरत,
चढ़ो नित सतत।
रुके रहो रत।।
बैठो झाँको,
दिल में ताको।
देख प्रिया को।।
देखो मिलकर,
बोल सँभलकर।
नत बनठन कर।।
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें