*तिकोनिया छंद*
करो कहो मत,
यह है ताकत।
दुनिया सहमत।।
मुँह को खोलो,
सुंदर बोलो।
साथ ले चलो।।
प्रीति निभाओ,
सेज सजाओ।
पर्व मनाओ।।
अति रंगीला,
बहुत छवीला।
परम रसीला।।
आ जाओ अब,
गुण गाओ तब।
अब ना तो कब??
जोड़ मिलाओ,
रच-बस जाओ।
रस बरसाओ।।
प्रीतिपान कर,
नित्य ध्यान कर।
हृदय-स्नान कर।।
भंग जमाओ,
मधु महंकाओ।
मौज उड़ाओ।।
चलो सरासर,
प्रेम किया कर।
श्याम रूप धर।।
रचनाकार: डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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